आज़ादी
हम आज़ादी से डरते क्यूं हैं?
कोई भी इंसान किसी बंधन में इसलिए नहीं फंसा होता क्योंकि वो आज़ाद नहीं हो सकता। दरअसल वो इसलिए बंधन में फँसा होता है क्योंकि वो आज़ादी से डरता है। आज़ाद होते ही आपको फैसले लेने पड़ते हैं। अपनी धुंधली योजनाओं को स्पष्ट कर ज़मीन पर उतारना पड़ता है। अपनी ज़िंदगी की बागडोर खुद संभालनी पड़ती है और किसी भी चीज़ के लिए कसूरवार ठहराने के लिए कोई बचता नहीं। और इस सबके बावजूद कामयाबी की कोई गारंटी नहीं। ये सब जोखिम भरा है। इसलिए हम वो काम करते हैं जो ज़्यादातर दुनिया करती है या कहती है।
जब छोटे थे तो किसी ने कहा ये कोर्स कर इसमें स्कोप है, तो वो कोर्स कर लिया। ऐसे ही फिर नौकरी चुन ली और आज भी बहुत सारे ऐसे ही अपना जीवनसाथी भी चुन लेते हैं। 25 का होने तक इंसान अपने जीवन से जुड़ा एक भी फैसला ऐसा नहीं बता सकता जिसके बारे में वो कह सके कि ये मेरा था। कुलमिलाकर आज़ादी मन में एक ख्वाहिश की तरह पलती तो रहती है मगर इसको पूरा करने से हम डरते भी हैं। हम डरते हैं क्योंकि हम हमेशा डरते-डरते बड़े होते हैं। डरते-डरते बड़े किए जाते हैं।
कोई फर्क नहीं पड़ता अगर बच्चे को टॉप टेन स्कूल में एडमिशन नहीं मिला। आपको भी कहां मिला था! आप भी तो गली-मोहल्ले के स्कूल में पढ़कर भी ज़िंदगी में कुछ कर ही गए न। तो बच्चे भी कर जाएंगे। खेल लेने दीजिए उसे खिलौने से जैसे नहीं खेला जाता। उसके गिरने, चोट खाने और पीछा रह जाने को लेकर घबराइए मत। हिदायतें इंसान को सुरक्षा नहीं देती उसे दब्बू बना देती हैं।
कहते हैं तितली का बच्चा जब इस दुनिया में आता है तो कोकून से बाहर आने के लिए संघर्ष करता है। ये संघर्ष उसे अकेले ही करना पड़ता है। अगर कोई बाहर आने के लिए उसकी मदद करे, तो वो मर जाता है। क्योंकि कोकून से बाहर आने की इस कोशिश में उसके पंखों को ताकत मिलती है! और उसकी मदद की जाए, तो वो मर सकता है।
जॉर्ज बर्नाड शॉ ने एक दफा कहा था कि जो भी इंसान जीवन में बहुत संघर्ष करके ऊपर उठता है, कामयाब होता है और कल को मां-बाप बनता है तो पहली बात वो यही कहता है कि मैं नहीं चाहूंगा कि मेरे बच्चों को वो संघर्ष करना पड़े जो सब मैंने किया। मगर ये सब सोचते हुए वो ये भूल जाता है कि आज वो जो कुछ भी है अपने उन्हीं संघर्षों की वजह से ही है। उसकी शख्सियत में जो आत्मविश्वास जो तेज है वो उन स्थितियों से निपटने के कारण ही आया है।
सुविधाओँ को तश्तरी में परोसकर देना नहीं, बल्कि अँजान रास्तों पर चलने का हौसला और छूट देना ही सच्चा प्यार है ताकि बच्चा कल को आज़ादी की शिकायत करते हुए उससे ही डरते हुए जीवन न बिता दे।
- Rajnish Mishra.

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ReplyDeleteThank you.
DeleteGood one
ReplyDeleteThank you.
Delete👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
ReplyDeleteThank you.
DeleteThere is only a way of sucees that is smart work. These lines motivate lots of young people. Osm line ❤️.
ReplyDeleteThank you.
DeleteNice 1
ReplyDeleteThank you.
DeleteThank you.
ReplyDeleteOsm lines ♥️♥️
ReplyDeleteThank you.
Deleteठीक-ठाक अभिव्यक्ति....जॉर्ज बर्नाड शॉ को सही जगह qoute किया हैं आपने!
ReplyDeleteNice sir 👍
ReplyDeleteIt has blown my mind and also impactful😊
superb line sir💯💯💯💯
ReplyDeleteThank you.
DeleteYour thought is amazing sir 🙂🙂🤗🤗
ReplyDeleteThank you.
DeleteGood suggestion for us sir..
ReplyDeleteThanku sir..😊😊
अति उत्तम सर
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