स्वामी विवेकानन्द और हम
भारत के गौरव एवं विद्वान संत स्वामी विवेकानंद का जन्म १२ जनवरी सन १८६३ को एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का घर का नाम वीरेश्वर रखा गया था, लेकिन उनका औपचारिक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। पिता विस्वनाथ दत्त कलकत्ता हाई कोर्ट के एक प्रसिद्द वकील थे। दादा दुर्गाचरण दत्ता संस्कृत और फारसी के विद्वान् थे, उन्होंने अपने परिवार को २५ की उम्र में छोड़ दिया और एक साधु बन गए। उनकी माँ भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारो की महिला थी।
व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि स्वामी विवेकानंद जी को मानव जाति के लिए प्रेरणा के लिए हमेशा याद किया जाना चाहिए। स्वामी निस्संदेह, उपलब्धि, गर्व, और प्रेरणा का सबसे बड़ा श्रोत है। उन्होंने हमें बिना शर्त प्यार सिखाया, वापस देने के महत्व को मजबूत किया और हमें एक बेहतर इंसान बनना सिखाया।
यहाँ मै उनके कुछ महान शब्द रख रहा हु, जिन शब्दों को मै छू नहीं सकता, जैसे वे किताबो के पन्नो के माध्यम से बिखरे हुए है, जो मेरे शरीर में बिजली के झटको कि तरह रोमांच उत्पन्न करते है। और क्या झटके, क्या परिवहन उत्पन्न हुए होंगे जब ये शब्द स्वामी जी के होठो से जलते हुए निकले होंगे -
- कीमत रिश्तो की नहीं, विश्वास की होती है।
- शुभचिंतक या प्रशंसक।
- अनुभव की एक ठोकर इंसान को मजबूत बनाती है।
- रिश्ते बचाने है तो चुगलखोरो से सावधान रहे।
- मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी, यू तो कहने को इंसान बहुत है।
- अपने गुस्से को अपनी ताकत बना लो। क्रोध को पालना सीखो।
- बाज़ के बच्चे मुंडेर पर नहीं उड़ते।
- जीवन की असली ख़ुशी उस काम को करने में है, जिसे लोग कहते हो कि तुम नहीं कर सकते।
- जो आपकी मदद कर रहा है, उसे मत भूलना
- जो तुमसे प्यार करते है, उनसे नफ़रत मत करना।।
- जो आप पर विश्वास कर रहे है, उन्हें कभी धोखा मत देना।।।
- जो कुछ भी आपको शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से कमजोर बनाता है, उसे ज़हर के रूप में अश्विकार करे।
- दिन में कम से कम एक बार खुद से बात करे, नहीं तो आप इस दुनिया के सबसे बेहतरीन इंसान से कभी नहीं मिल पाएंगे।
- रिश्ते जिंदगी से ज्यादा जरुरी होती है, लेकिन उन रिश्तो में जिंदगी का होना जरूरी होता है।
- अगर तुम मुझे पसंद करते हो तो मै तुम्हारे दिल में हु, अगर तुम मुझसे नफ़रत करते हो तो मै तुम्हारे दिमाग में हु।
- मष्तिष्क को उच्च विचारो और उच्चत्तम आदर्शो से भर दे, उन्हें दिन रात अपने सामने रखे।
- हम वही है जो हमारे विचारो ने हमें बनाया है। इसलिए आप इस बात का ध्यान जरूर रखे कि आप क्या सोचते है। क्योकि शब्द गौण है। परन्तु विचार रहते है : वे दूर तक यात्रा करते है।
- दुनिया एक महान व्यायामशाला है जहा हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते है।
- ब्रह्माण्ड की सभी शक्तियाँ पहले से ही हमारी है। हम ही है जिन्होंने अपनी आँखों के सामने हाथ रखा है और रोते है कि अँधेरा है।
- जब कोई विचार विशेष रूप से दिमाग पर कब्ज़ा कर लेता है, तो वह वास्तविक, शारीरिक और मानसिक स्थिति में बदल जाता है।
तो आईये हम उठे, स्वामी विवेकानंद के विचारो के साथ, अंदर से बाहर कि ओर बढ़े। स्वामी जी ने एकदम सही कहा है कि -
कोई आपको सीखा नहीं सकता, कोई आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुम्हारी आत्मा के सिवा कोई दूसरा गुरु नहीं।
इन सभी बातो से मैंने बस यही सीखा है कि -
- बाज़ कि तरह परवरिश करो बच्चो की।
- कोई साथ नहीं देता, आत्मनिर्भर बनो।
- दरिया बनकर किसी को डुबोने से अच्छा है कि जरिया बनकर बचाया जाय।
- धैर्य रखो।
- जान लगा दो या फिर जाने दो।
आजाद रहिये विचारो से लेकिन बधे रहिये अपने संस्कारो से।
- रजनीश पराशर