Sunday, November 18, 2018

Need Help @ America

                            Give your Help for the 

                                 CALIFORNIA WILDFIRES

Go to the link for the Ground Report -




It's NEED Your HELP.

You can Donate here -




Collected By - Rajnish Mishra



न जन्म तुम्हारे हाथ में है, न मौत तुम्हारे हाथ में है l
सिर्फ एक चीज तुम्हारे हाथ में है, वह है समर्पण l
जन्म हो गया, मौत होकर रहेगी l
समर्पण तुम चाहो तो हो सकता है, तुम चाहो तो नहीं होगा l
सिर्फ एक बात के तुम मालिक हो, वह है संन्यास l
© रजनीश 

Sunday, March 18, 2018

नये पेड़ को लगाये या पुराने पेड़ को कटने से बचाये ? ©

 नये वृक्ष को लगाये या पुराने वृक्ष को कटने से बचाये ?

हम सब के  ध्यान को सदैव नये वृक्ष लगाने की तरफ खींचा जाता आ रहा है, जबकी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाए केवल वृक्षों के दोहन में लगी है l यहाँ तक की यह भी देखने को मिल जाता है कि जो आज सेलिब्रिटी/सरकारी अधिकारी या फिर कोई राजनेता जो मंच से वृक्ष बचाओ वृक्ष बचाओ का भाषण दे रहा उसी के घर में सबसे ज्यादा फर्नीचर लगा है l विज्ञान के हिसाब से नये वृक्ष को तैयार होने के लिए पुराने वृक्षों का होना अतिआवश्यक है, और यदि हम इसे गणितिय विधि से देखे तो - जो पुराना एक वृक्ष आज १०० यूनिट ऑक्सीजन दे रहा है उसे काट करके एक नया वृक्ष लगा देते है ( काटने के बाद लगाने की भी गारण्टी नही होती है ) जो आज ०.००१ यूनिट भी ऑक्सीजन नहीं दे पायेगा, और इस नए वृक्ष को पुराने वृक्ष  की बराबरी करने में ५० वर्ष लग जायेगा बीच के समय में हुई ऑक्सीजन की उत्पादकता में ह्राष की भरपाई कैसे और कब होगी ? यदि हम इस फॉर्मूले को ध्यान में रखे तो इससे यही सन्देश मिल रहा है, की हम सब को सर्वप्रथम पुराने वृक्षों को कटने से बचाना चाहिए और जो काटे जा चुके है उनकी भरपाई के लिए नए वृक्षो  को लगाना चाहिए l शुरुआती गरमी के लक्षणों से धरती एक बार फिर लोगो तक एक सन्देश देने जा रही है, की अब भी समय है धरती की रक्षा करने में l कही समय हाथ से निकल न जाए ?

 '' हमारा धर्म धरती रक्षा '' ™ 

Writer - Rajnish Mishra ®
Thought - Sandeep Chaurasia ©
 

UN ENVIRONMENT ANNUAL REPORT 2016

           FOREWORD BY ANTÓNIO GUTERRES

         UNITED NATIONS SECRETARY-GENERAL 


Once again, the past year (2015) was the hottest ever. Sixteen of the 17 warmest years on record have occurred during this young century. This trend not only threatens the world’s ecosystems and biodiversity but poses a serious risk for peace, security and sustainable development.

Nations and the international community spend far more time and resources responding to crises than avoiding them. We need a new common-sense approach that emphasizes prevention. Environmental care must be at its heart.

''हमारा धर्म  धरती रक्षा''